5 Essential Elements For Shodashi

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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

It was below much too, that The nice Shankaracharya himself installed the picture of a stone Sri Yantra, perhaps the most sacred geometrical symbols of Shakti. It might however be viewed right now in the internal chamber on the temple.

Her 3rd eye signifies increased notion, aiding devotees see further than physical appearances on the essence of truth. As Tripura Sundari, she embodies enjoy, compassion, and the joy of existence, encouraging devotees to embrace life with open up hearts and minds.

The Sri Chakra is usually a diagram shaped from 9 triangles that surround and emit out in the central issue.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

Please tell me such yoga which might give salvation and paradise (Shodashi Mahavidya). You might be the only theologian who can give me the whole understanding in this regard.

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं

Around the fifth auspicious working day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated as the legends say this was the day if the Goddess emerged from fire to kill the demon Bhandasura.

These gatherings are not only about personal spirituality but additionally about reinforcing the communal bonds by shared ordeals.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना get more info रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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